रेडियो जॉकी
रेडियो जॉकी
चाँदनी रातों में अक्सर,
इक मख़मली आवाज़ गूँजती है।
हाँ वही दिलकश आवाज़,
जो सितारों तक जा पहुँचती है।
अपनी अलहदा आवाज़ के ज़रिए,
वो जो अल्फ़ाज़ में एहसास भरते हैं।
नज़र ना आने वाले ऐसे छिपे हीरो,
को ही हम आर.जे. कहते हैं।
मुख़्तसर में अक्सर,
बहुत कुछ कह जाते हैं।
ना होके भी ये,
सारा दिन हमारे साथ होते हैं।
वैसे देखा जाए तो रेडियो जॉकी,
पब्लिकली नज़र नहीं आते हैं।
मगर फिर भी ये रोज़ाना,
हमारी ज़िंदगी में मिश्री घोल जाते हैं।
इनके गुडमोर्निंग शोज् किसी का,
सारा दिन शानदार बना देते हैं।
तो इनके लेट नाइट् शोज् किसी का,
टूटा हुआ दिल दोबारा जोड़ देते हैं।
खुद को अलग-अलग,
अंदाज़ में पेश करते हैं।
ये ज़िंदगी को ज़ाफ़रानी,
आवाज़ में पेश करते हैं।
सुनकर जिसे हम,
हम नहीं रहते हैं।
साथ इनके इक नदी,
बनके बहते हैं।
पर्दे के पीछे रहने वाले ऐसे,
नायाब फ़नकारों के लिए
स्टेंडिंग ओवेशन तो बनता है।
बेशक दिल जीत लेने वाले,
ऐसे ऑन एयर क़िरदारों के लिए,
एप्रिसियेशन तो बनता है।
इन छुपे रुस्तमों को मेरा सलाम,
इन छुपे रुस्तमों पर मेरा क़लाम।
कभी न कभी तो होगा,
इन छुपे रुस्तमों की दुनिया में अपना भी नाम।।