ग़ज़ल
ग़ज़ल
कभी दीवाना था ये दिल तेरी बाँकी अदाओं का,
मचलता था समंदर मन में कोरी कल्पनाओं का।
बनाकर स्वर्ग धरती पर तुझे उसमें ही रखता मैं,
समझ लेता अगर तू मोल मेरी भावनाओं का।
ये कहते हैं कि जो होता है सब अच्छा ही होता है,
बवंडर थम गया मेरे हृदय की वेदनाओं का।
ये इक तरफ़ा मुहब्बत रेत पर पानी का धोखा है,
घरौंदा मत बनाओ साथियों मन में व्यथाओं का।
गया पतझड़ बहार आई चमन फिर से महक उठे,
खुला आकाश फिर मेरे लिऐ संभावनाओं का।
सितारों से भी आगे जा के दिखलाऊँगा मैं इक दिन,
कभी खाली नहीं जाता असर माँ की दुआओं का।
बड़ी लम्बी कहानी अब यहाँ किसको सुनाओगे,
चलन देखो यहाँ पर अब है केवल लघु कथाओं का।
समय आया है अब आ जाओ ये "मंज़र" बुलाता है।
निभाओ साथ तो मुँह मोड़ दूँ बेरुख़ हवाओं का।