मेरी माँ
मेरी माँ
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पाँव में मेरे जूते पहनाकर खुद नंगे पाँव ही चल लेती है,
भूख लगे जब मुझको जमकर वो पानी पीकर सो लेती है,
स्वप्नों की दुनिया में जब भी मैं दूर कहीं खो जाता हूँ,
वो ढूंढ अँधेरे में भी मुझको रौशन घर कर लेती है,
अजब ग़जब जीवन की उलझन में जब कभी उलझ मैं जाता हूँ,
अपने आँचल की छाया में वो मुझको नज़र कर लेती है॥