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Ganesh G. Shivlad

Romance Fantasy classics

4.1  

Ganesh G. Shivlad

Romance Fantasy classics

निर्विकार नारी..!

निर्विकार नारी..!

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नक्षीदार निळी नऊवारी, 

नाजुकशी नववधू नेसली..!

नवसाची नवखी नवरी, 

नखशिखांत नादर नटली..!


नटखट निळसर नशा, 

नवतीचे निपचीत नयनी..!

नाचवे नखरेली नजर, 

नवलखी नाकात नथनी..!


निर्मळ नीर नीरे नितळती, 

न्हाऊन निघता नदीपात्री..!

नादान निरजही निहारती, 

नवकांती निसटती नेत्री..!


नवनारी न्याहाळूनी नुतनी, 

नवनीत निरसे नभातूनी..!

निरव निशाही निखरती, 

नाद निनादाता नुपूरातूनी..!


निर्मिती निसर्गाची न्यारी, 

निपजे नारळी नित्य निरी..!

निरागस नलिनी नवेली, 

निर्विकार निश्चित नारी..!



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