प्यार से रहना सीख लो
प्यार से रहना सीख लो
रूपा ससुराल में सात बजे तक सोई रही। जब उसकी आँख खुली तो घबड़ा गई।वह अपने बैग से जल्दी से साड़ी निकाल फ्रेश होने चली गयी।जब फ्रेश होकर आई तो उसेएक कप चाय की तलब महसूस हुई।मायके मे एक कप चाय नहीं पिये तो बेड पर से न उतरे।पर ,यहाँ चाय किससे मांगे।तभी, ननद निधी जो कि उसकी ननद कम दोस्त ज्यादा है।कमरे मे चाय लेकर आई बोली..भाभी लो, पहले चाय पी लो फिर अपना श्रृंगार करना।रूपा अपनी ननद निधी के साथ बैठकर चाय पी।फिर जल्दी से तैयार हो कर अपनी सास के पास चली गई।सासु माँ ने पहले अपनी लाड़ली बहु की बलैया ली.. खुब प्यार से बात की ढेरों आशीष दिया।फिर रूपा को़ अंजुरी भर कर काजु किशमिश देकर उसके मांग में सिन्दुर लगा दिया।रूपा ने सास के चरणों को छूकर आशिर्वाद लिया।तब तक निधी आ के माँ से बोली ..."माँ ,भाभी की आज पहली रसोई है ...भाभी आज क्या खाना बनायेगी।"तब , रूपा की सास ने रूपा से कहां... "तुम्हे क्या पसंद है बहु..?तुम्हें क्या बनाने आता हैं?"
रूपा सास की समझदारी भरी बात सुन कर बोली..."मम्मी मुझे हलवा और चाय के अलावा कुछ बनाने नहीं आता। वैसे मै आपके साथ रह कर सब कुछ बनाना सीख लुंगी।" रूपा की सास रूपा की बात से खुश होकर उसके माथे को चुमते हुये बोली.."कोई बात नहीं बेटा आपको जो मूड हो वह बना लो।
ये रस्म निभा लो।मैं तुमको बाद मे सब कुछ बनाना सीखा दूँगी। खाना बनाना कोई बड़ी बात नहीं हैं।बस प्यार से रहना सीख लो ये बहुत बड़ी बात है....।"
