Kanchan Pandey

Others abstract abstract

3.5  

Kanchan Pandey

Others abstract abstract

लगाव

लगाव

3 mins
3.0K


मालती गुमुसुम रहा करती थी सुधीर को यह बात बहुत परेशान करती थी। शादी के बाद तो बहुत खुश थी लेकिन अचानक मालती में आए परिवर्तन ने विचलित कर दिया था, उसने बहुत तरीकों से मालती को खुश करने की कोशिश की लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला। लेकिन जब मालती अपने छत पर गमलों में लगे फूलों को पानी डालती तब उसे अपने मायके का याद आ जाती और सुधीर के फैक्ट्री जाने पर वह घंटों उन गमलों के साथ समय बिताती थी। एक दिन तो हद हो गई ,जब सुधीर ने कम से कम बीस बार फोन किया लेकिन फोन नहीं उठा वह बहुत परेशान हो गया दौड़ता भागता घर पहुँचा। सुधीर –मालती, मालती कहाँ हो क्या हुआ वह छत पर पहुँचा तब बहुत हैरान हो गया मालती उन गमलों और फूलों में इस प्रकार खोई थी कि सुधीर के दो चार बार हिलाने पर उसे ध्यान आया, वह घबराते हुए बोली अरे आप आ गए।

सुधीर –हाँ मैं आ गया क्या हो गया है ? मालती क्या तुम्हें मैं पसंद नहीं ?

मालती-नहीं - नहीं कोई बात नहीं है

सुधीर –तो क्या बात है देखो मैने कितनी बार तुम्हें फोन किया कहाँ खोई रहती हो ?

मालती रोने लगी सुधीर ने उसे चुप कराया तभी अचानक मालती के बड़े भाई साहब का फोन आ गया। मालती और सुधीर से बात हुई बात होने के एक सप्ताह के बाद अचानक एक मिनी ट्रक आकर उसके दरवाज़े पर खड़ी हो गई। मालती को यह समझते देर नहीं लगी वह दौड़ कर बाहर गई ओह रामदुलारे भैया, भैया ने कैसे मेरे मन की बात समझ लिया। एक बार बात करने से पता चल गया। उसने तुरंत फैक्ट्री फोन की सुधीर दो तीन मज़दूर के साथ घर पहुंचा।

मालती- देखिए सुधीर भैया ने कितने पेड़ भेजे हैं अपने इस हाते में कितना पेड़ लगेगा लेकिन सभी के ख़ुशी का ठिकाना नहीं था कोई मज़दूर कहता अरे इसे यहाँ लगाओ, कोई कहता नहीं यहाँ ठीक रहता इस बीच में एक ने कहा आज तो मेम साहब को मुँह मीठा करवाना होगा, कोई कहता मुँह मीठा से काम नहीं चलेगा मालती भी इतना खुश थी कि उसने तरह तरह के पकवान बनाए और अपने हाते हीं नहीं फैक्ट्री और जहाँ भी उसे खाली जगह मिली,

पेड़ लगाया। अब उसे जीवन में इस प्रदूषण से भरे शहर जिसमें कल तक दम घुटता था आज एक लक्ष्य मिल गया था उसने धन्यवाद कहने के लिए भैया को फोन किया तब उसे जानकर बड़ा आश्चर्य हुआ कि यह तो सुधीर ने सारी योजना बनाई थी। मालती सुधीर से लिपट गई और अपने द्वारा किए गए व्यवहार के लिए क्षमा मांगी लेकिन सुधीर ने कहा, इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है। इस प्रकार मालती इस प्रदूषण से भरे शहर को जीवन देने में लग गई। अब तो कभी कभी सुधीर इस काम में मालती के साथ चल पड़ता था। एक हरे भरे जीवन ने मालती के जीवन में राह प्रदान कर दी।



Rate this content
Log in