STORYMIRROR

घर की धुरी

घर की धुरी

1 min
15.4K


तीन बच्चों की माँ शगुन घर की धुरी थी। अब नया ज़माना है, बच्चों ने माँ का जन्मदिन मनाने की सोची "मम्मा आपका बर्थ डे मनायेंगे" नन्हा विश्वास माँ के गले में बाँहें ड़ाल कर बोला। शगुन मुस्काई। पूजा,मुक्ता की तरफ देखा, उनकी आँखें बता रही थी कि विशु को ये पट्टी उन दोनों ने ही पढ़ाई थी। शगुन की एक बचपन की सहेली की मदद ली गयी। बड़ी मुश्किल से पिक्चर देखने के लिये राजी हुई,खाना भी बाहर खाना था। ग्यारह बजे का शो था। जैसे ही निकलने को हुई गाँव से दूर की चाची आ गयी। शगुन वापस अंदर गयी, कपड़े बदले और घुस गयी रसोई में। एक तरफ चाय चढ़ाई, दूसरी और ख़ाने की तैयारी। इसी लिये कहते है ना की माँ घर की धुरी जो थी।


Rate this content
Log in