Tanha Shayar Hu Yash

Others Inspirational Romance

5.0  

Tanha Shayar Hu Yash

Others Inspirational Romance

एक कप कॉफी

एक कप कॉफी

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एक कप कॉफी

घर से निकला ही था, बहुत तेज रफ्तार से चल रहा था। बहुत जल्दी मैं था मैं, वक़्त ऐसे भाग रहा था जैसे की वक़्त को पंख लग गए हो। ऊपर से गर्मी का मौसम था। अपनी दोनों बाजुओं को बार बार ऊपर कर रहा था। रोड पर पहुंचते ही रोड क्रॉस करने की जल्दी में रोड के बिच पहुंच गया।  तभी सामने से आते ट्रक को देख कर घबरा गया, लगा, आज तो भगवन के दर्शन हुए समझो। तभी आँखे बंद हो गई और ट्रक सामने से निकल गया। 'भगवन का शुक्र है' बच गया ‘मन में सोचा’, और जल्दी से रोड कोर्स की और बस स्टैंड पर जा खड़ा हुआ।

थोड़े ही इंतज़ार के बाद बस आ गई। बहुत भीड़ थी, बस में चढ़ते ही टिकट ली और आगे निकलने की मुसक्कत शुरू हो गई। अरे भाई साहब थोड़ा आगे को हो जाइये मुझे ज़्यदा दूर नहीं जाना, और कंडक्टर साहब पीछे से उतरने भी नहीं देंगे। धक्का मुक्की का दौर शुरू, और बहुत मेहनत के बाद आखिरकार में आगे निकल ही आया । ऐसा लगा जैसे आज कोई बहुत बड़ा युद्ध जीता हो। जी बिल्कुल दिल्ली की सरकारी बसो में पीछे से चढ़कर आगे उतरना कोई युद्ध से काम नहीं।

जैसे ही उतरा सुधीर सामने खड़ा था। बहुत पुराना दोस्त स्कूल में साथ पढ़े लिखे थे, एक दूसरे का टिफ़िन चोरी से खा लेते थे। मुझे प्यार से सवाली कहता था। जी हाँ , मैं जवाब कम और सवाल ज़्यदा करता था।  मैं ‘मोहीत’ बहुत ही शर्मीला सा लड़का था। उसने मुझे पहचान लिया था और देखते ही चिल्ला पड़ा।

सुधीर : अबे सवाली कहां जा रहा है, और कहां खो गया था, न कोई फ़ोन न कोई अता पता ? कैसा है तू ?

(मोहित शयद सुधीर को भूल सा गया था। उसके सामने आने पर कुछ पल के लिए तो उसे लगा, अब ये कौन है? तभी एक पल में दिमाग में यादें ताज़ा हो गई, और मोहित ने सुधीर को हैरत से देखते हुए बोला।)

मोहित : यार मैं ठीक हूँ पर तू कब से इतने सवाल करने लगा। इतने सवालों का हक़ सिर्फ मुझे है। तुम सबने मेरा ही नाम सवाली रखा था।

( सुधीर ने मोहित को फिर ध्यान से देखा, जैसे कोई नया चेहरा देखता है।)

सुधीर : मोहित तूने कंही से ट्रैंनिंग ली है क्या ? तू बदल गया है मोहित। अब तेरी बातों मैं पहले से ज्यादा विश्वास नज़र आ रहा है।

(मोहित ज़ोर से हसने लगा , और फिर शरमाते हुए बोला।)

मोहित : यार सुधीर ऐसा कुछ नहीं वैसा ही हूँ जैसा पहले था। तू मुझे अपना फ़ोन नंबर दे दे।  आज  मैं बहुत जल्दी में हूँ अगर तू बुरा न माने तो में बाद में मिलु।

सुधीर : कोई बात नहीं भाई, लगता है बड़ा आदमी हो गया अब हम से बात नहीं करेगा ( और हसने लगा ) अच्छा चल नंबर लिख ले ।

मोहित : यार प्लीज बुरा नहीं मानना। मैं तुझे सब बता दूंगा ( नंबर अपने मोबाइल में नोट करता है, सुधीर को गले से लगाता है )

सुधीर : चल ठीक है , मस्का मत मार , और ये बहाना भी नहीं चलेगा की (एड्रेस सेंड करते हुए ) मेरे पास घर का पता नहीं है , वो भी भेज दिया है, समय निकाल कर आ जाना।

मोहित सुधीर की तरफ एक बार देखता है और उससे हाथ मिलाकर निकल जाता है।

(सामने आती मोहिनी को देखकर, मोहित की नज़रे कुछ शमा याचना सी मांगती हुई। मोहिनी मोहित का प्यार, आज मोहित को मोहिनी ने कॉफी पर बुलाया था। और बड़े ही कड़क अंदाज़ में कहा था। देर मत करना मेरे पास सिर्फ दो ही घंटे है तुम ठीक ११ बजे सुबह आ जाना, फिर मुझे भी काम है।)

मोहित सामने जाते ही मोहिनी को कोई मौका नहीं देता बोलने का, और अपनी आप बीती कहने लगता है। 

मोहित : अच्छा बाबा ये पहली और आखिरी बार है। आज के बाद अगर में देरी से आउ तो जो सजा चोर की वो मेरी।

(मोहिनी ने जैसे मोहीत की सारी बातों को नज़रअंदाज़ कर दिया, और बस ऐसा कुछ कहाँ, की मोहित सोच भी नहीं सकता था। )

मोहिनी : मोहित, मुझे तुमसे कोई शिकयत नहीं है । बल्कि मुझे तो लगा था तुम मुझे फ़ोन करके कह दोगें की मैं नहीं आ पाउँगा। मुझे लगा की शायद तुम थोड़ी देर मिलने नहीं आना चाहोगे, पर मुझे आज बहुत अच्छा लगा की तुम आये।

(मोहित कुछ देर के लिए सोचता ही रह गया और फिर मोहिनी को एक टक देखता रहा और बोला।)

मोहित : इसका मतलब तुम मुझे आजमा रही थी। यार हमारा साथ किसी पल दो पर पर निर्भर नहीं है, तुम मुझे से दो पल के लिए भी मिलो तो मेरे लिए दो जनम की खुशियों के बराबर है।

(मोहिनी ने मोहित को गले से लगा लिया और फिर बोली)

मोहिनी : मैं जानती हूँ तुम मुझसे बहुत प्यार करते हो, तुम्हारे लिए मुझसे बढ़कर कुछ नहीं। पर ज़रा वक़्त का ख्याल करो वरना आज की कॉफी मिस कर दोगे। 

मोहित : मिस ? मिस नहीं होगी मेमसाहब।

(कहकर दोनों एक कॉफ़ी शॉप में चल देते है कॉफ़ी शॉप जी हाँ, ये वही कॉफ़ी शॉप है जहां मोहित अक्सर आया करता था। यंही कुछ सालो पहले मोहित मोहिनी से मिला था। दोनों कॉफ़ी शॉप में जाकर कॉफी आर्डर करते है और अपनी कभी न ख़तम होने वाली बातों में लग जाते है।)

(कॉफी का प्याला हाथ में लेकर मोहिनी, मोहित को एक टक देखती रहती है और मोहित भी मोहिनी को चीनी की मिठास की तरह कॉफ़ी में चीनी मिलाते हुए देखता रहता है, और कब वक़्त के पंख लग जाते है पता भी नहीं चलता।)

मोहित : लगता है तुम्हारा जाने का समय हो गया ?

मोहिनी : हा , जाना तो होगा ही,...

(मोहित बेचैन नज़रो से मोहिनी को देखता है, और कहता है।)

मोहित : अच्छा , कोई बात नहीं फिर मिल लेंगे , चलो निकलते है।

मोहिनी मोहित के साथ कॉफ़ी शॉप से बहार निकलते हुए, फिर मिलने का वादा करते हुए अपनी राह पर निकल जाती है, और मोहित अपनी। )    


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