एक लम्हा लगा था यूँ कि शायद अब करार आए इसी उम्मीद के सदके, उम्र सारी गुज़ार आए। निभा एक लम्हा लगा था यूँ कि शायद अब करार आए इसी उम्मीद के सदके, उम्र सारी गुज़ार आए...
नींद भी नहीं आती नींद भी नहीं आती
अंजान इक जहां में उतारा गया मुझे पहना के सुर्ख जोड़ा सँवारा गया मुझे! अंजान इक जहां में उतारा गया मुझे पहना के सुर्ख जोड़ा सँवारा गया मुझे!
मर-मिटे थे जिस पर हम कभी, वो रानाई किधर गई मर-मिटे थे जिस पर हम कभी, वो रानाई किधर गई
हाँ उन अधूरी मुलाक़ातों की ख्वाहिशें किया करती हूँ मैं। हाँ उन अधूरी मुलाक़ातों की ख्वाहिशें किया करती हूँ मैं।