अपने मुखड़े की स्माइल कभी हमें भी बनाओ। अपने मुखड़े की स्माइल कभी हमें भी बनाओ।
गुस्से से वो भर गयी डांटती रही घंटा भर फटी जेब शर्मिंदा कर गयी। गुस्से से वो भर गयी डांटती रही घंटा भर फटी जेब शर्मिंदा कर गयी।
रफ्ता रफ्ता कूच करना था, दिल में घर ,बनाया क्यों था। रफ्ता रफ्ता कूच करना था, दिल में घर ,बनाया क्यों था।
देखते ही चेहरे पर आ जाती है स्माइल, बात उसी की है जिसे कहते हैं मोबाइल। देखते ही चेहरे पर आ जाती है स्माइल, बात उसी की है जिसे कहते हैं मोबाइल।