ऐ ज़िंदगी, थकती नहीं,रूकतीं नहीं हो क्यों ? ऐ ज़िंदगी, थकती नहीं,रूकतीं नहीं हो क्यों ?
बाहर नहीं घूम सकते तुम जरा झाँक लो अपने ही भीतर बाहर नहीं घूम सकते तुम जरा झाँक लो अपने ही भीतर
ग्राहक के इंतजार में आंखें बिछाये रहता है बीच बीच में ग्राहक के इंतजार में आंखें बिछाये रहता है बीच बीच में