मैं कविता हूँ, साहित्य का में नारित्व रूप, झरझर निर्मल बस नदी स्वरूप। मैं कविता हूँ, साहित्य का में नारित्व रूप, झरझर निर्मल बस नदी स्वरूप।
है जन्म जन्म का साथ प्रियतमा, तुम हर जीवन छवि ही बन आना।। है जन्म जन्म का साथ प्रियतमा, तुम हर जीवन छवि ही बन आना।।
चलो प्रेम से कह कण सींचे, बस प्रेम ही उपजा ले आज, चलो प्रेम से कह कण सींचे, बस प्रेम ही उपजा ले आज,