हसरतें तेरे दीदार करने की थी पर लुट गया हाय ! तेरे ख्याली ख्याल से....। हसरतें तेरे दीदार करने की थी पर लुट गया हाय ! तेरे ख्याली ख्याल से.......
तेरे कानों की बाली बन जाऊं। क्या लिखूं की तुम्हें लिख पाऊँ। तेरे कानों की बाली बन जाऊं। क्या लिखूं की तुम्हें लिख पाऊँ।
शहर में क़त्ल-ए-आम होने का अंदेशा है जिनके लिए “मन ” सितम देखिये, वो बेनक़ाब सरे-आम चले आते हैं... शहर में क़त्ल-ए-आम होने का अंदेशा है जिनके लिए “मन ” सितम देखिये, वो बेनक़ाब सर...