तेरे कानों की बाली बन जाऊं। क्या लिखूं की तुम्हें लिख पाऊँ। तेरे कानों की बाली बन जाऊं। क्या लिखूं की तुम्हें लिख पाऊँ।
वक़्त से आगे या पीछे चल रहा हूँ, पता नहीं वक़्त से आगे या पीछे चल रहा हूँ, पता नहीं