सुख दुख की लिखती परिभाषा भावों के लिखती सारे इशारे सुख दुख की लिखती परिभाषा भावों के लिखती सारे इशारे
मैं सपने देखती हूँ मैं सपने देखती हूँ
मैं मुस्कुरा कर कहती हूं मैं इश्क नहीं इश्क के अहसास लिखती हूं। मैं मुस्कुरा कर कहती हूं मैं इश्क नहीं इश्क के अहसास लिखती हूं।
भूली सुध बुध मैं बेचारी, लिखती रही धुन पर बन कवि, भूली सुध बुध मैं बेचारी, लिखती रही धुन पर बन कवि,
जब भी चुभतीं कुछ बातें फांस सी , मैं लिखती हूं जब भी चुभतीं कुछ बातें फांस सी , मैं लिखती हूं
मैं दिखा ना पाई उन्हें अपनी रचनाओं को, ना बांट पाई उनके साथ अपने अनुभवों को, मैं दिखा ना पाई उन्हें अपनी रचनाओं को, ना बांट पाई उनके साथ अपने अनुभवों को,