यह दीवारें सालों से खड़ी जीती जागती , मूक दर्शक बनकर ! यह दीवारें सालों से खड़ी जीती जागती , मूक दर्शक बनकर !
कब तक हम विचरेंगे अपनी आँखों को मूंद के। कब तक हम विचरेंगे अपनी आँखों को मूंद के।
है गर्व किसी नारी की चेतना लिख रही हूँ मैं अब है तसल्ली कि कुछ तो कर रही हूँ मैं। है गर्व किसी नारी की चेतना लिख रही हूँ मैं अब है तसल्ली कि कुछ तो कर रही हूँ मै...
अपने पर इनका कोई अंकुश नहीं खींचतीं हैं रम-चिलम कठपुतलियाँ। अपने पर इनका कोई अंकुश नहीं खींचतीं हैं रम-चिलम कठपुतलियाँ।
प्रसंशकों का जोश टीम का संबल होता है जो उन्हें जीत हासिल करने में मदद करता है प्रसंशकों का जोश टीम का संबल होता है जो उन्हें जीत हासिल करने में मदद करता है