गुमनाम गड़रिया देख रहा है चित्तर सारे अक्ल के दुश्मन हुए हैं सारे। गुमनाम गड़रिया देख रहा है चित्तर सारे अक्ल के दुश्मन हुए हैं सारे।
मात्रिक गणना में भी एक जैसे लगते दोनों भीड़ और भेड़। मात्रिक गणना में भी एक जैसे लगते दोनों भीड़ और भेड़।
कण कण में छाया है जिसके कुदरत का नूर, एक बार काँगड़ा आइये ज़रूर। कण कण में छाया है जिसके कुदरत का नूर, एक बार काँगड़ा आइये ज़रूर।
मूल्य मिला व्यापारी को हम अपनी हत्या करते हैं ! मूल्य मिला व्यापारी को हम अपनी हत्या करते हैं !
इतनी संख्या में भेड़ों का होना खतरनाक भी है सभ्यता के लिए। इतनी संख्या में भेड़ों का होना खतरनाक भी है सभ्यता के लिए।
भेडू पीने लगते हैं दूध भेडू पीने लगते हैं दूध