पावन गंगा से बड़ा, है किनका परिवेश हरता सारे पाप जो, मिटा हृदय का क्लेश। मिटा हृदय पावन गंगा से बड़ा, है किनका परिवेश हरता सारे पाप जो, मिटा हृदय का क्लेश। ...
तुमने लाखों पतित को तारा ! अब हमरी बारी आये तुम काहे देर लगाए तुमने लाखों पतित को तारा ! अब हमरी बारी आये तुम काहे देर लगाए
बस ! अब उसे अपने दर्द को यहीं अंत करना होगा ! उसे अपने जीवन में आगे बढ़ना होगा ! बस ! अब उसे अपने दर्द को यहीं अंत करना होगा ! उसे अपने जीवन में आगे बढ़ना ...
एक पुष्प अनेकों नाम भिन्न आकार भिन्न काम एक पुष्प अनेकों नाम भिन्न आकार भिन्न काम
पतित पावन है नाम तुम्हारा, कैसे मैं तुमको पुकारुँ। भव-सागर में गोते खाता ,इस पापी को पतित पावन है नाम तुम्हारा, कैसे मैं तुमको पुकारुँ। भव-सागर में गोते खाता ,इस...
मेरी पहली रचना है न्याय का निवेदन न और कुछ कर पाऊ मैं अकिन्चन मेरी आवाज़ है मेरी कलम की स्याही सश... मेरी पहली रचना है न्याय का निवेदन न और कुछ कर पाऊ मैं अकिन्चन मेरी आवाज़ है मे...