इतनी-सी इल्तिज़ा हे मेरी, मुहब्बत में मान जाया करो । इतनी-सी इल्तिज़ा हे मेरी, मुहब्बत में मान जाया करो ।
दिल हमारे जल रहे अंगार है पास आये तो पिघलते जाएंगे दिल हमारे जल रहे अंगार है पास आये तो पिघलते जाएंगे
गूंथकर पानी से करती एकमेक बिखरी आशाएं गूंथकर पानी से करती एकमेक बिखरी आशाएं
बंजर प्यासी धरती हरियाली को तरसती हैl ठूँठ की चिड़िया जल बिन मछली सी तड़पती है l बंजर प्यासी धरती हरियाली को तरसती हैl ठूँठ की चिड़िया जल बिन मछली सी तड़पती है ...