स्थापित मापदंड पिघलने लगते हैं विचारों को नये शब्द मिलते हैं स्थापित मापदंड पिघलने लगते हैं विचारों को नये शब्द मिलते हैं
दिल हमारे जल रहे अंगार है पास आये तो पिघलते जाएंगे दिल हमारे जल रहे अंगार है पास आये तो पिघलते जाएंगे