ये नज़्म उन सभी लोगों के बारे में है, जिन्हें वो जगह, वो तवज्जो हासिल नहीं है, जिसके कि वो क़ाबिल ह... ये नज़्म उन सभी लोगों के बारे में है, जिन्हें वो जगह, वो तवज्जो हासिल नहीं है, ...
मैंने मेरी ये नज़्म तक़सीम इंसान से इंसान के बँटवारे को देख कर लिखी है। मुझे हमेशा ही इस बँटवारे ने ... मैंने मेरी ये नज़्म तक़सीम इंसान से इंसान के बँटवारे को देख कर लिखी है। मुझे हमे...
कि लम्हा रातों का समा सुहाना सा मंज़र बारिशों का हसीन बेतहाशा होगा। कि लम्हा रातों का समा सुहाना सा मंज़र बारिशों का हसीन बेतहाशा होगा।
जो अगर उड़ते उड़ते बुझे सूरज में गिरे, तो सूरज फिर से जलने लगे। जो अगर उड़ते उड़ते बुझे सूरज में गिरे, तो सूरज फिर से जलने लगे।
देखे थे जो ख्वाब देखे थे जो ख्वाब
जो फूलों सी शरमाती हैं जो खामोशियों में जगाती हैं जो करवटें बदलती है जो फूलों सी शरमाती हैं जो खामोशियों में जगाती हैं जो करवटें बदलती है