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प्यादे

प्यादे

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एक मामूली-सा प्यादा हूँ मैं 

तुम्हारी बिसात का 

एक ख़ाना मिलता है मुझे 

बस एक ही ख़ाना 

 

चलूँ तो सीधा  

काटूँ तो आड़ा

 

तुम अपने वज़ीर को देते हो तवज्जो

कि हर ख़ाना ज़द में है उसकी 

और अपने घोड़ों की ढाई के आगे 

किसी की चलने नहीं देते 

 

इस सिलसिला-ए-चाल में 

अक्सर एक बात भूल जाते हो तुम 

इक बार जो आगे चल दूँ तो 

पीछे हटता नहीं हूँ.


 


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