उस नारी को शत- शत नमन कर शीश झुकाना जिसके बिना सृष्टि की कभी न होगी कल्पना। उस नारी को शत- शत नमन कर शीश झुकाना जिसके बिना सृष्टि की कभी न होगी कल्पना।
मैं सीता जैसी निर्मला मैं धैर्य जैसी उर्मिला मैं शांत शकुंतला सी हूँ मैं सीता जैसी निर्मला मैं धैर्य जैसी उर्मिला मैं शांत शकुंतला सी हूँ
बादलों की टोली जब ठिठकी इन्हें देख तो बादलों की टोली जब ठिठकी इन्हें देख तो
संचित कर लो छोटे-छोटे अंजुलियों में अस्तित्व ना जल का अवसान करो। संचित कर लो छोटे-छोटे अंजुलियों में अस्तित्व ना जल का अवसान करो।