हां, ये मन सूरजमुखी सा , हां, ये मन सूरजमुखी सा ,
दिल में शिकायतों का सैलाब लिए घूम रहें हैं दिल में शिकायतों का सैलाब लिए घूम रहें हैं
आओ चलें घूम लें हम भी आओ चलें घूम लें हम भी
जीने का मकसद देती है ससुराल के तपते रेगिस्तान में जीने का मकसद देती है ससुराल के तपते रेगिस्तान में
उस पे कुर्बान जाऊं मैं, कोटिक जनम।। हर जनम में, मैं मां का सिपाही बनूँ । उस पे कुर्बान जाऊं मैं, कोटिक जनम।। हर जनम में, मैं मां का सिपाही बनूँ ।
कभी पवित्र मैं बन जाती हूं, कभी मैली मैं हो जाती हूं, कभी पवित्र मैं बन जाती हूं, कभी मैली मैं हो जाती हूं,