STORYMIRROR

Sangeeta Aggarwal

Others

3  

Sangeeta Aggarwal

Others

तहखाना

तहखाना

1 min
223

हर औरत अपने दिल में

एक तहखाना बना कर रखती है

जहाँ वो अपने मायके की

हर याद छुपा कर रखती है 

वो यादें ही होती है जो उसे

जीने का मकसद देती है

ससुराल के तपते रेगिस्तान में

वो यादें ही बौछार सी भिगोती है 

कैसे बचपन बीता कैसे हुई स्यानी

माँ बाबा के लिए थी मैं उनकी रानी

बहन भाई ने भी कितने नाज़ उठाये थे

कितने ही अनमोल पल साथ बिताए थे 

तन से आज भले दूर हूँ सबसे

पर मन से अब भी साथ हूँ सबके 

जब जब पीहर की याद सताती है

हर औरत उस तहखाने घूम आती है

कुछ पल जी कर उन यादों में 

फिर घर गृहस्थी मे जुट जाती है 



Rate this content
Log in