ये तन भी तेरा ये मन भी तेरा...
ये तन भी तेरा ये मन भी तेरा...
ये तन भी तेरा ये मन भी तेरा
मुझ पर है तेरी यादों का पहरा
तीखे नयन नक्श चंचल मुस्कान
तुझमें बसता मेरा दुनिया जाहन
रोम रोम में मधुर संगीत बहे
उसमे सुनाई देता बस मेरा नाम
कोई तन से रिझाए कोई मन से रिझाए
तेरी मीठी वाणी मे दिल ये खो जाए
नित्त तेरा सुबह शाम आता पैगाम
चेहरे पर है मेरे मुस्कान खिलाए
कलियों जैसा तेरा कोमल मन
उस पर बैठे हैं हम सिंहासन जमाए
भोली सूरत उस पर हँसी ठिठोली
लगता ऐसा कोई मासूम बच्ची बोली
शब्द नही हैं तेरा और क्या बखान करुं
हे प्राण प्रिये मे तेरा दिल से सम्मान करूँ