STORYMIRROR

विदाई

विदाई

1 min
28.8K


विदा करो अब, रस्म निभाओ,

हमारी यादो मे रोज़ आओ,

हमारी यादो के सिलसिला को,

रस्म समझ कर सभी निभाओ।


मैं घर मे आई, खूशी बढ़ाई,

हसीन गुडिया तुम्हें दिलाई

हमारी खूशियों मे तुम सभी हो,

हमेशा मूझको खूशी दिलाओ।


बहुत हूँ कमसिन, ना जानती हूँ,

तमाम रिश्तो की सरहदो को,

तमाम रिश्तो की सरहदो को,

है वक्त कूछ अब मूझे सिखाओ।


निकलना मूश्किल गली से,

अपने तमाम यादों को छोडकर अब,

यकीन दिलाओ, करीब अाओ,

यहा के किस्से मूझे सुनाओ।


छलक रहा है रूका नही है,

अभी भी पलके सुखा नही है,

करो विदाई, चलो सफर मे,

उम्मीद दिलमे मेरे जगाओ।


किधर चली मैं ना जानती हूँ,

जगह है कैसी जहां है जाना

वो घर पिया का नया अभी है,

रहूंगी कैसे मूझे बताओ।


नज़र मे मेरे है ख्वाब कितने,

हिसाब करना बहुत है मूश्किल,

नई जगह वो, नया शहर वो,

रहुंगी कैसे मूझे सिखाओ।


बहुत यकीन है तुम्हे भी मूझ पर,

मै जानती हूँ, निभा रही हूँ,

मगर है उलझन हज़ार दिलमे,

उन्हे सही से मूझे बताओ।


चलो बनी अाज मैं भी दुल्हन,

ख़त्म हूई अब तुम्हारी उलझन,

हूई खता गर कभी भी मूझसे,

समझ के नादान उसे भूलाओ।


Rate this content
Log in