STORYMIRROR

Hasmukh Amathalal

Others

3  

Hasmukh Amathalal

Others

उसकी कोख में

उसकी कोख में

1 min
13.8K


एक और सपूत सो गया

सब सपने अपने साथ ले गया

पर नाम बहुत ऊंचा कर गया

भारत माँ की उत्कृष्ट सेवा कर गया।

 

मुझे नहीं पता और कितने बलि चढ़ेंगे?

और कितनी शहादतें हम देते रहेंगे?

माँ भारती मांग रही हैं

कितनी माँओं के सुहाग मिटा रही है?

 

हमारे भीतर का अवलोकन आवश्यक है

सब जानते हैं पर मूक प्रेक्षक है

हमारे भीतर के भेदी काम ख़राब कर रहे हैं

हम तो एक ही हिन्दू राष्ट्र है वो सब मटियामेट कर रहे हैं।

 

हम ने धुरा ऐसे लोगों को सौंप रखी थी

वो हमारे कभी नहीं थे और उनकी नियत ख़राब थी

आज हम जो रक्त बहा रहे हैं

वह उसका नतीजा है और आंसू बहा रहे हैं।

 

कौन कब जाएगा कह नहीं सकते

जाना तय है बस समय नहीं बता सकते

माँ तुझे सलाम हम तो छोड़ चले

आपने अब सोचना है वतनवाले।

 

बन न रखवाला अगर हो सके तो

पंछी बन के उड़ जाना उड़ सके तो

माता का सदैव ऋण रहेगा

उसकी कोख़ में सदा आराम मिलेगा।


Rate this content
Log in