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Shravani .....!

Romance Tragedy

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Shravani .....!

Romance Tragedy

तू भी तो लाल था...!

तू भी तो लाल था...!

1 min
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इस एक तरफा ईश्क में, आँसू तो बहुत हैं

बेवफाई की चिंगारी से दहकती, आग भी बहुत है

एक रोज उस आग से मैंने, सारे आँसू जला दिए

वह अश्क जो कभी बहे नहीं, मुझे ही बहा ले गए

बाहर से तो खामोश मगर, अंदर ही अंदर चिल्लाती रही

तेरी बाहों के किनारे ठहर जाने, तुझे पास बुलाती रही

तू आवाज भी जैसे भूल गया हैं मेरी

मैं फिर भी आवाज लगाती रही

मालूम तो था नही आओगे तुम

मैं फिर भी राह तकती रही 

बेबस होकर मैं, अपने आपको ही कोसती रही

जो मिटा दिए थे ऊन आँसुओ की 

आँखों में क्या जगह सोचती रही

जब होश संभाला मैंने

एक सवाल ने मुझे जवाब दे दिया

आग से आँसू जलाने चली तो

क्या आँसुओं ने ही आग को जला दिया

अब मेरा जवाब मुझे मिल गया 

तो नफरत का दिखावा छोड़ दिया

और तुझसे प्यार नहीं इस वहम को

दिल ने भी अब तोड़ दिया

फिर जब फुर्सत मिली दर्द से तो यूँ लगा.....

क्या हुआ ...

जो अब तुम मेरे नहीं

रातों को इंतजार रहता था जिनका, अब वह सवेरे नहीं

क्या हुआ ...

जो चांदतारों से रोशन वह अँधेरे नहीं

हमतुम ठहरे थे जहाँ, अब वह किनारे नहीं

एक वह भी तो वक्त था, जब तुझे भी मेरा खयाल था

जिसमें आज तक कैद हूँ, वह तेरा ही तो जाल था

कभी तेरा भी तो सनम..

मेरे लिए मुझ जैसा हाल था

बस यही काफी हैं मेरे लिए...

मेरे रंग में कभी, तू भी तो लाल था....!!



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