STORYMIRROR

Rajni Sharma

Others

4  

Rajni Sharma

Others

तस्वीर

तस्वीर

1 min
354

मेरी तस्वीर ने मुझसे पूछा 

ज़िन्दगी क्यों मुस्कुराती है  

जब छूटता है ज़िस्म से रूह का दामन 

तो दिवाल पर टन्ग कर रह जाती है

 

मेरी आँखों ने मुझसे पूछा 

क्या देख सकती है तू रूह को 

कहती है नहीं 

इनको तो बरसना है खुशी हो चाहे गम में 

जिस तरह साथ है सीप और मोती का 

तो आँखें बंद होते ही दामन छोड़ जाती है 


मैने पूछा इन हाथों से क्या काम है तेरा 

बोल बैठे ये मेरे बिना अस्तित्व क्या है तेरा 


फिर पूछा मैने इन पैरों से 

क्यों है तू इस धरती पर 

कहते है बोझ है तू 

तुझको ढ़ोता हूँ, जीवन के हर मोड़ पर 


वक्त जब होता है आखिरी तो 

आँखें, हाथ, पैर, शरीर किसी का 

काम नहीं होता 

क्योंकि 

जीवन के इस मोड़ पर 

बुझ जाती है लौ ज़िन्दगी की 


दीवाल पर टन्ग कर रह जाती है 

मेरी वो तस्वीर मुस्कुराती 

जिसने मुझसे पूछा था 

कभी 

ज़िन्दगी क्यों है मुस्कुराती


Rate this content
Log in