' स्त्री '
' स्त्री '
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ये क्या था ???
सोती यशोधरा को यूँ छोड़ कर जाना ?
गर्भवती सीता को जंगल पहुँचाना ?
नयी नवेली उर्मिला को चौदह वर्षों तक सुला देना ?
देवी अहिल्या को सदियों पत्थर बना देना ?
ये था...
किसी का निर्वाण किसी का प्रजा धर्म
किसी की सेवा तो किसी का अहम,
और जब......
देव दानवों के उत्पात से हुये परास्त और हैरान
तब अपनी शक्ति से देवी का किया आह्वान
इनको भी आपत्ति के वक्त स्त्री याद आती है
परंतु वक्त पड़ने पर वही त्याग दी जाती है,
तुम...
स्त्री को जितना भी अपमानित करो
जी भर कर मनमानी करो
छोड़ दो मुसीबत में साथ
थामो मत कभी भी हाथ,
लेकिन वो.....
हर युग में आती सब अन्याय सह जाती
पत्नी बन संबल माँ बन आँचल फैलाती
काली बन भक्षण करती रानी बन संरक्षण
बहन बन हिम्मत बेटी बन किस्मत बन जाती,
उसका समर्पण देखो....
तुम्हारी एक आवाज प
रहर युग में वो आती है
तुम्हारी हर परेशानी पर
दुर्गा बन दिखलाती है ।