स्कूल के वो दिन
स्कूल के वो दिन


स्कूल के वो दिन कितने मजेदार हुआ करते थे,
दोस्तों के संग खेल और खट्टे मीठे पल होते थे।
जीवन के सतरंगी पलों में ये पल भी खास थे,
जब स्कूल में सभी दोस्त एक दूसरे के साथ थे।
बिताए थे जो स्कूल में दोस्तों संग यादगार पल,
फिर एक बार वही पल जीने का मन करता है।
स्कूल की चारदीवारी जो कभी कैद लगती थी,
फिर से वापस वहीं जाने का मन मेरा करता है।
आज भी मुझे वो स्कूल के सुनहरे दिन याद हैं,
जब दोस्तों की हम पूरी टोली बनाया करते थे।
मम्मी से बाल बनवा कंधे पर भारी बस्ता टांगें,
दोस्तों के संग गप्पे मारते स्कूल जाया करते थे।
कभी-कभी जब समय पर नहीं पहुंचे थे स्कूल
तब सजा में मैदान के चक्कर लगाया करते थे।
उस सजा में भी हम अपना मजा ढूंढ ही लेते थे,
स्कूल के वो दिन कितने मजेदार हुआ करते थे।
आज भी स्कूल की वो शरारत याद आती है जब,
प्रार्थना के
समय कक्षा में ही रुक जाया करते थे।
पकड़े जाते थे किसी भी कारण से जब हम सब,
तो मासूमियत से हम पेट दर्द का बहाना करते थे।
दोस्तों के साथ लंच खाने में बड़ा मजा आता था,
सिर्फ अचार रोटी से ही मन भर जाया करता था।
कभी-कभी तो पहले ही टिफिन चट कर जाते थे,
स्कूल के वो दिन कितने मजेदार हुआ करते थे।
लाल -काला चूरन खाकर हम खूब मजा लेते थे,
फिर जीभ दिखाकर एक दूसरे को भी चिढ़ाते थे।
एक दूसरे से लड़ते -झगड़ते और हम टकराते थे,
और कुछ ही देर में गुस्सा छोड़ मान भी जाते थे।
टीन के डिब्बे को फुटबॉल बनाकर खेला करते थे,
ठोकर मार-मार उसको घर तक ले जाया करते थे।
जीवन के कितने खूबसूरत वो पल हुआ करते थे,
स्कूल के वो दिन भी कितने मजेदार हुआ करते थे।
स्कूल के वो दिन आज भी मुझे बहुत याद आते हैं,
कैसे भूल सकते उन दिनों की इतनी प्यारी बातें हैं।