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mamta pathak

Others

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राखी

राखी

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सुनो भाई , 

इस साल एक नहीं , मैं दो राखी हूँ लाई

एक राखी मैं बाँधूँगी, और दूजी से तुम

सजा देना मेरी कलाई

तुम मेरा दुख बाँटो, तुम मेरी रक्षा करो

हर बार जिम्मेदारियां का बोझ

अकेले तुम ही क्यों, अपने सिर धरो

मैं भी उठाऊँगी कुछ जिम्मेदारियाँ

तुम्हारी खुशियों की राहों से

दूर करूँगी हर दुश्वारियाँ

तुम्हारे काँधे से काँधा मिला

हरपल तुम्हारे साथ चलूँगी

मिलकर लड़ेंगे हर लड़ाई

अब मैंने भी कसम है खाई 

एक - दूजे की करेंगे रक्षा भाई

एक राखी मैं बाँधूँगी 

दूजी से तुम सजा देना मेरी कलाई।


लेकिन सुनो, हम जब भी मिले

वो लड़ाई, वो झगड़ा 

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कभी खत्म मत करना 

खा लेना चुरा कर 

मेरे हिस्से की आइसक्रीम

छुपा देना मेरे नए कपड़े

और मुझे क्या पता कहकर

कर देना अपने हाथ खड़े

मेरे बनाए खाने को देख 

टेढ़ा सा मुँह बनाना और

रात में चुपके से रख जाना

अपना प्यार मेरे सिरहाने

सुनो भाई! हम भले दूर हैं

पर नही है हमारे दिलों में जुदाई

एक राखी मैंने बाँध ली है

दूजी से तुम सजा लेना अपनी कलाई

और दे देना शगुन में एक वादा 

कि, तुम रखोगे अपना खूब खयाल

हमारी दुनिया में तुमसे ही है रौशनाई

एक राखी मैंने बाँध ली है

दूजी से तुम सजा लेना अपनी कलाई

दूजी से तुम सजा लेना अपनी कलाई।



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