पसीना
पसीना
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मैंने कई दिनों तक हाथ नहीं धोया
ताकि मैला हो हाथ और घिसकर निकालूँ मैल
तो निकले पैसा
किसी ने कहा है कि पैसा हाथों का मैल है
झूठ निकली उसकी बात
हाथों को घिस घिस कर ज़ख्मी कर लिया
खून निकल आया, छिल गए हाथ
लेकिन पैसा न निकला
न जाने वो कौन आदमी है
जिसके लिए पैसा हाथों का मैल है
होगा कोई अरब पति या वरदान प्राप्त
मुझे तो बहाना पड़ता है पसीना
करनी पड़ती है रात दिन मेहनत
तब जाकर होता है दो वक़्त की रोटी का जुगाड़
जिसने कहा, वो कोई जादूगर होगा
नेता होगा या धर्म का ठेकेदार
गरीब के लिए तो पैसा अब भी वैसा ही है
जैसे रेगिस्तान में पानी।