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Dr. Anu Somayajula

Others

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Dr. Anu Somayajula

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क्यों?

क्यों?

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प्रिय डायरी,


खिड़की से ताकती

मासूम आँखों में कुछ प्रश्न तैरते हैं-

मैं जो आज घर में बंदी हूं

क्यों?

कोई नहीं संगी साथी-

क्यों?

अब कबूतर भी नहीं आता खिड़की पर

क्यों?

मैं बाहर जाऊँगा तो साथ

‘वह भी आ जाएगा’

क्यों?


बुझे हुए चूल्हे के भी कुछ प्रश्न हैं-

मैं नहीं सुलगा आज अभी तक

क्यों?

गृहिणी मेरी चिंतित है

क्यों?

घर में पसरा इतना सन्नाटा है

क्यों?

सुबह सबेरे रात का ये आभास

क्यों?


प्रश्न सूनी सड़क भी पूछती है-

नुक्कड़ पर चाय वाला आता नहीं

क्यों?

कोई पान खाकर अब थूकता नहीं

क्यों?

काम की आस लिए अब बैठते मज़दूर नहीं

क्यों?

मेरी छाती पर दौड़ती गाड़ियाँ भी नहीं

क्यों?


एक व्रत हमने लिया है,

यज्ञ की वेदी रची है,

एक ही संकल्प है-

‘तुम्हारी आहुति का’

तुम धृष्ट-

हमारी अग्नि में

अपनी समिधा डाल रहे हो,

हमारे हवन कुंड में

निरंतर हमारी ही आहुति दिए जा रहे हो,

क्यों?                                     


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