फूट-फूटकर अम्मा रोयीं
फूट-फूटकर अम्मा रोयीं
आँगन में दीवार पड़ गयी सन्नाटा है द्वारे पर।
फूट-फूटकर अम्मा रोयीं चाचा से बँटवारे पर।
साँझ लगाती मरहम कैसे
भला भूख के कूल्हे पर।
दुख की चढ़ी पतीली हो जब
आशाओं के चूल्हे पर।
हमने ढलते आँसू देखे तुलसी के चौबारे पर।
फूट-फूटकर अम्मा रोयीं चाचा से बँटवारे पर।
तनिक दया भी नहीं दिखायी
सुख जैसे मेहमानों ने।
हृदय दुखाया पल-पल जी भर
चाची के भी तानों ने।
एक-एक कर हवन हो गयीं सब खुशियाँ अंगारे पर।
फूट-फूटकर अम्मा रोयीं चाचा से बँटवारे पर।
भाग्य गया वनवास भोगने
हँसी उड़ायी लोगों ने।
नाव हमेशा रही भँवर में
फँसा दिया संयोगों ने।
देख-देख बस हँसे जमाना बैठा सिर्फ किनारे पर।
फूट-फूटकर अम्मा रोयीं चाचा से बँटवारे पर।
