फ़टी जेब
फ़टी जेब
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फटी जेब खाली लेकर,
घूम रहे हैं दरबदर।
बेकारी पाके मस्ती,
मौत यहां पर है सस्ती।
नौजवान कहते हैं कहानी,
सुने उन्हीं की है जुबानी,
श्रम को है तैयार खड़े,
काम बताओ तो आगे बढ़े।
शिक्षा-दीक्षा व्यर्थ लगे
जीवन असमर्थ लगे,
महंगाई ने मार दिया
घर को ज्यों बेजार किया,
घर की हालत खस्ता है
वृद्ध पालकों की आंखों में
अब भी सपना बसता है
फटी जेब सिलने का अवसर
शीघ्र अति शीघ्र ही आएगा,
जब उनका लाडला जेबे
भर-भर नोटे लाएगा।
देख फटी जेबों को तो
अपना दिल भी रोता है
सिलने का अवसर कब आए
सोच ना रात को सोता है।
फटी जेबों को देख देख
अपना भी दिल रोता है
