एक गुंजाईश तो रही है, तेरे लौट ना आने की उम्मीद पर! एक गुंजाईश तो रही है, तेरे लौट ना आने की उम्मीद पर!
भटक रहा मैं दरबदर किसी अपनें की तलाश में। भटक रहा मैं दरबदर किसी अपनें की तलाश में।
देख फटी जेबों को तो अपना दिल भी रोता है सिलने का अवसर कब आए सोच ना रात को सोता है। फटी जेबों को ... देख फटी जेबों को तो अपना दिल भी रोता है सिलने का अवसर कब आए सोच ना रात को सोत...