अपनें की तलाश
अपनें की तलाश
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भटक रहा मैं दरबदर किसी
अपनें की तलाश में
मिलता नहीं मुझे वो अपना
जो समझें मुझे
मैं चुप हूं
क्यों चुप हूं
बिन बोले वो वजह समझ जाए
मेरे दिल के हर एक राज़ का
वो हमराज बन जाएं
मैं ग़लत हूं
तो मुझे ग़लत बताएं
मैं सही हूं तो मुझे सही बताएं
वो अपना मुझे अपना समझें
भटक रहा मैं दरबदर
ऐसे अपने की तलाश में।
