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Sarita Dikshit

Others

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पापा की गुड़िया

पापा की गुड़िया

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पापा मैं आपकी गुड़िया थी, जादू की पुड़िया थी

आज क्या इतनी पराई हो गई ?


किसी गैर पे कैसे इतना भरोसा

अपना जिगर किसी और को सौंपा

बिना मुकदमे के कैसे सुनवाई हो गई?

क्यूँ आज से मैं इतनी पराई हो गई?


पापा भूल गए क्या

जब मैं पहली बार स्कूल न जाने के लिए रोई थी

आपने मुझे गले से लगाकर

अपनी शर्ट मेरे आंसुओं से भिगोई थी


आप भी कितना रोए थे

जब माँ ने कहा था- आँसू बचा के रखो

एक दिन बेटी ससुराल जाएगी

आप रात भर नहीं सोए थे


पापा मुझे ये चाहिए, पापा मुझे वो चाहिए

कितने डिमांड करती थी मैं

माँग पूरी ना हुई तो,

आपसे कितना लड़ती थी मैं।


ऑफिस से जल्दी आते थे कि मुझे

बाहर घुमाने ले जाओगे

पर मुझको पता नहीं था इक दिन

जल्दी किसी को दे आओगे


पापा मैं शरारत नहीं करूँगी 

हर बात मानूँगी , फिर से मेरी उँगली थाम लो,

हर अभिलाषा पूरी की है

फिर से गले लगाकर , मेरा पहले जैसा नाम लो


आत्मा के बंधन से , कैसे जुदाई हो गई?

मैं आपकी गुड़िया हूँ, जादू की पुड़िया हूँ

फिर आज क्यूँ मैं पराई हो गई ?



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