पानी माँ
पानी माँ
कहाँ मिलेगा शुद्ध गंगाजल
तुलसी दल भिगोने को
मरणासन मानवता का
अतृप्त सुखा होठ गिलोने को
भूलता गया नासमझ निष्ठुर जन मन
जीवंत रखता जल, धरा का कण कण
माना विज्ञान ने है बहुत ज्ञान दिया
क्या मिट्टी और गंगाजल बना दिया?
समझ, समझा, मान, मना!!
श्रेष्ठ जल, जलश्रेष्ठ, गंगाजल!!
गंगा में है
ब्रह्मा की रचना धर्मिता
विष्णु की पोषक प्रवृति
शिव की संहारक शक्ति
विनम्रता से सबका पाप धोती
क्रोध मे निजसुत का भी प्राण लेती।।
अतः हरपल
सबजन, सबजल का भल सोंचो
जल है तो कल ह
ै
जल है तो हम हैं
जनजीवन के लिए जलवायु जरूरी
जलदोहन के लिए जलसीमन जरूरी
अतिक्रमण निमंत्रण होगा
जल प्रलय का
जल संकट का
मल जल का
अधिविनाश का
महाविनाश का
विश्वयुद्ध आगाज का
प्यास बुझाने मे जल पानी पानी हो गया
चिंतन जरूरी है
पानी के प्यास को समझो
पानी में छिपी माँ को समझो
पसीना भी पानी होता है
आँसू भी पानी होता है
पानी हमेशा पानी होता है
रंग नही होता अपना पानी का
रंग उड़ा देता यह सब जीवधारी का
पानी को भी माँ का मान दो
जीवन में एक उचित स्थान दो।।