निश्छल छंद...
निश्छल छंद...
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विधा-गीत लेखन
कुल 23 मात्राएं,16,7 पर यति,अंत 21
साथी सुन ले किंचित करुणा,अब तो जाग।
कोई रोता कोई हॅंसता,सुन अनुराग।।
जन्म मरण का खेल निराला,कहें सुजान।
मरना अंतिम निश्चित इक दिन, तू भी मान।।
कौन खिलेगा कोई डाल पर,सूना बाग।
ठौर ठिकाना तू देख अपना,कौन विभाग।।
कोई रोता कोई हॅंसता....
जन्मा जिसने इस धरती पर, मिलता काल।
प्रिय की प्रेमिका मृत्यु होती, मायाजाल।।
कर्म धर्म सिंदूर सजेंगे,भाल सुहाग।
अब तो पापी पापों को भी ,कर ले त्याग।।
कोई रोता कोई हॅंसता....