नील के मुक्तक
नील के मुक्तक
कश्ती को किनारा देना सिर्फ ईश्वर का काम है,
ये अलग बात उसे चलाने में मेरा अपना नाम है|
मुझे परवाह नही किसने कब मेरे साथ गलत किया,
जिसने भी गलत किया उसका आज काम तमाम है|
रोज रोज की समझाईस देकर मैं भी पक गया,
सच कहूँ तो शिकायतें सुना सुना अब थक गया,
मनाना होता मुझे अपना तो कोई अजमाता नही,
रही दिल की बात तो साफ साफ मैं भी रख गया|
कोई होगा चाँद सितारो वाला हम तो जमीं वाले हैं ,
दुनिया में कहाँ हमारे जैसा इंसान मिले अमीं वाले हैं ,
ठीक हैं जिन्दगी की जरूरत तो हमारी भी पूरी होती,
उनकी नही होती तो वो हमेशा से सिर्फ कमी वाले हैं ||