नैनों की रज्ज !
नैनों की रज्ज !

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नैनो की गीली-गीली
रज्ज में जो बोये है
वो कच्चे कच्चे सपने है
कंठ की मधुर मधुर
धुन से जो गुनगुनाये है
वो मेरे प्रेम के गीत है
अपने हृदय के नर्म नर्म
आँगन में जो सजाये है
वो खुश नुमा लम्हे है
इन सबको मैं टूटता
बिखरता और करहाता
बैचैन सा इन्हे सींचने
सँवारने और सहेजने
की कोशिश कर रहा हूँ
जब इनमें सुगंध फूटे
तो तुम आना मैं ये
सुगंध तुझ में भरना
चाहता हूँ !