नानी मरी पड़ी है
नानी मरी पड़ी है
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हर रिश्तों में गांठ पड़ी है
दो, चार नहीं, छह, आठ पड़ी है
महंगाई से खाट खड़ी है
भ्रष्टों की देखो ठाठ बड़ी है
प्रेम का धागा चटख गया
सच्चा सभी को खटक गया
बेरोजगार राह से भटक गया
अपराधों में अटक गया
सत्ता की तानाशाही से
सब की नानी मरी पड़ी है
घर, बाजार में लटक गया
बाजार संस्कृति को गटक गया
पैसा हर रिश्तों को झटक गया
चोर, पुलिस की मिली भगत
जनतंत्र की धज्जियां उड़ी पड़ी हैं।