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Mayank Kumar

Others

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Mayank Kumar

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मत पूछो वह कौन है

मत पूछो वह कौन है

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अनादि काल से,

जिसके मुस्कुराहट से

धरती-अंबर झूम रहा है,

उसकी जटाएं इतनी मनमोहक

जिसको देखकर चाँद,

उसपर आ बैठा हैं,

मत पूछो वह कौन है ??


कहीं शंकर,

कहीं महाकाल,

कहीं नटराज,

हर युग में हर नाम को,

वह साकार करता हैं,

मत पूछो वह कौन है ??


वह हर युग का,

सृजनकर्ता भी है...

वह हर युग का,

विध्वंसक भी है

वह हर युग का,

संरक्षक भी है

वह हर युग का,

मार्गदर्शक भी है

वह हर युग का,

सद्गुरु भी है

वह हर युग का

हठयोगी भी है...

मत पूछो वह कौन है ??


वह अंतरिक्ष का स्वामी है,

या कह दूं कि वही अंतरिक्ष है!

जिसका कोई अंत नहीं..!

वह एक घनघोर अंधेरा है

जहां कोई प्रकाश नहीं

फिर भी वह एक सवेरा है,

जहां 112 वसुधा समाई है...!

वहीं कई सूरज चमकाता है

फिर कई सूरज बुझाता है

अनगिनत आकाशगंगा बनाता है,

फिर उसे ही मिटाता है..!

अनगिनत जीवन देता है

अनगिनत जीवन खुद में लेता है,

मत पूछो वह कौन है ??


84 गति के गति में तुम,

गति करके यह समझ रहे हो

सबको गति कराने वाले से,

तुम बड़े हो...!

मत पूछो वह कौन है ??


अरे! वह औघड़ दानी है

जितना खाली होकर जाओगें

उतना तुम्हें भर देगा वह..!

मत पूछो वह कौन है??


वह सिद्धार्थ की तपस्या है

वह हनुमान की भक्ति हैं

वह परशुराम का क्रोध है

वह श्रीराम की विनम्रता हैं

वह श्रीकृष्ण का गीता हैं

या कह दूं, वही सब है

मत पूछो वह कौन है??

सप्तर्षि का आदि योगी हैं वह

भगीरथ का तप हैं वह

सभी वेदों का रचयिता है वह

या कह दूं कि-

वही सभी वेदों में समाया है...!

वह कबीर भी हैं,

वह कबीर का निरंकार भी हैं

मत पूछो वह कौन है ??


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