मोहब्बत करने से डरता है दिल
मोहब्बत करने से डरता है दिल
वैसे तो सारी दुनिया से,
अकेला ही लड़ लेता हूँ मैं!
मगर क्या कहूं कभी-कभी अकेले में,
खुद ही के साये से डरता हूँ मैं!
नहीं डरता मैं किसी दिक्क्तों से
या किसी भी बुरे हालातों से!
पर क्या करूं कभी-कभी,
खुद से ही डरता हूँ मैं!
वैसे ज़िन्दगी के हर पथ पर चलना सीखा है,
आगे बढ़ना सीखा है मैंने,
पर क्या करूं कभी-कभी,
खुद ही के रास्तो पर आगे बढ़ने से डरता हूँ मैं!
अक्सर ज़िन्दगी के हर फैसले बिना डरे,
बिना कोई हिचकिचाहट के ले लेता हूँ मैं!
मगर क्या करूं कभी-कभी दिल के,
फैसले लेने से डरता हूँ मैं!
वैसे तो ज़िन्दगी के तामाम रिश्ते नातो से,
मोहब्बत करता हूँ मैं!
मगर न जाने क्यों कभी-कभी दिल के रिश्तों से,
मोहब्बत से डरता हूँ मैं!
