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Shraddha Gaur

Others

5.0  

Shraddha Gaur

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महादेव की काशी

महादेव की काशी

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मिल जाते हैं हजारों अनजान चेहरे वाले शहर में

कुछ खुद से भी ज्यादा जाने पहचाने चेहरे,

कभी करते हैं मखैल तो कभी चर्चा है सारे शहर की,

लगता है ठहाका किसी भी बचकानी सी बात पर,

और आवाज आती है कही से 'हर हर महादेव।


किसी रोज जो मुलाकात हो जाती है किसी चाय की गुमटी पर,

ना जाने पाँच रूपये की चाय कितने ही कुल्हण जमा कर देती है,

किसी छज्जे से आती है पुकार " चच्चा हर हर महादेव''


कभी अस्सी पर बैठे चच्चा जायजा ले लेते हैं दुनियादारी का,

कभी कोसते हैं राजनीति के दावपेंचों को

 तो कभी दाद देते हैं अभिषेक और अशफाक की यारी का,

और मदारी के खेल से भी आती यही पुकार 'हर हर महादेव।


सुबह होने के पहले 'सुबह -ए-बनारस' 

और सांझ की माता भगीरथी की आरती ,

इक मंच होता है संस्कृति का जहाँ संग नृत्य करती हैं

अमीना , ऐनी और भारती

फिर भीड़ से आती है आवाज'हर हर महादेव।


संकटमोचन के डमरू की आवाज,

विश्वनाथ बाबा हेतु आस्था आपार,

दुर्गाकुंड के कुंड की महिमा

और मणिकर्णिका पर होने वाला सत्य का आभास,

फिर से कहता मन 'हर हर महादेव।


अस्सी, दशाश्वमेघ और नाव से करीब आते वो खूबसूरत किनारे,

विलायती भाभी संग तस्वीरें लेने की ललक

और देशी छोरी की चुड़ियों की खनक

जिदंगी में मिला बनारसी अल्हणपन

सुकून देता है ये खुला सा गगन

और जयकार होती है और इक बार फिर 'हर हर महादेव।


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