मेरा घर
मेरा घर
घर होगा मेरा मंदिर
जहाँ होगी दृढ़ संबंधों की नींव
जो होगा मधुरत्व भावों के ईंट पत्थरों से
जहाँ होगी चिनाई रिश्तों की लयबद्धता की
जहाँ कपट ईर्ष्या मैल के जूते होंगे बाहर
जहाँ निर्मल पानी से हम होगें स्वच्छ
जहाँ विशुद्ध मन की होगी घंटियां
जहाँ होगी बयार प्यार और अनुराग की
जहाँ होगा स्नेह का चंदन
जहाँ होगी समर्पण फूलो की माला
जहाँ होगी धूप सुमधुर सुगंध रिश्तों की
जहाँ होगी लौ चमक सम्बन्धों की
जहाँ ईश्वर होंगे मेरे बड़े
जहाँ प्रसाद में होंगे मेरे विश्वसाबोर अनुरक्त बच्चे
कुछ ऐसा ही होगा मेरा घर
जहाँ श्रद्धा होगी नतमस्तक।