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Sanjay Aswal

Tragedy Others

5.0  

Sanjay Aswal

Tragedy Others

मैं लिखना चाहता हूं।

मैं लिखना चाहता हूं।

2 mins
484


मैं लिखना चाहता हूं एक कविता,

जिसमे दर्द की बात हो,

पलायन की बात हो,

खाली होते गांव,

गाँव की आत्मा की बात हो,

बात हो रूठी नदियों के जल की

जिन्हे बांधा गया हो बांधों में,

विकास के नाम पर,

बात सिसकते बंजर खेतों की,

बात उन जंगलों की जो अब वीरान हैं

सिकुड़ गए हैं,


मैं लिखना चाहता हूं कविता,

उन बूढ़ों पर,

जो रह गए अकेले उन गाँव में,

जहां कभी बसती थी खुशियां,

मैं लिखना चाहता हूं हर उस बात पर,

जो समेटे हो अर्थ और

जिनका अर्थ गूढ़ हो,

जिनमें मर्म छुपा हो पहाड़ की वेदना का,

दर्द के अहसास का,

खाली पन का,आंसूओं का,

जो सूख गए हैं कब के,

किसी के आने के इंतजार में,


मैं लिखना चाहता हूं उस पुकार पर,

जिसे अनसुना कर दिया हो,

उस हंसी पर, उस मुस्कराहट पर ,

जिन्हे सदियाँ हो गई है खिलखिलाते हुए,

बात उस छुअन पर, उस मिलन पर ,

जो अब हसरत बन बस दिल में रह गई हैं,


मैं लिखना चाहता हूं एक कविता,

अपने दिल पर, जो छूट गया है गाँव की

गलियों में धूल फांकता इस उम्मीद में

अपनों के लिए, इसी इंतजार में कि

शायद ही सही भूले बिसरे

वो लौट आएं वापस इन गाँव में दोबारा,

जहां वो छोड़ गए थे हजारों यादें अपनी,


मैं लिखना चाहता हूं कि

अब देर ना हो जाए

उनके लौटने का और

मेरे लंबे इंतजार का।


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